Sunday, April 5, 2009

सोचने से कुछ नहीं होता है ,केवल पीडा होती है .

वास्तव मैं जीवन की ढलती हुई साँझ कहा गया है। जबकि जैसा मैंने देखा और समझा है ,जीवन एक खेल है ,खेल कोई भी हो हारना जीतना सभी मैं है, कोई ऐसा खेल नहीं है जिसमे हर जीत न हो ।
चिरंजीव वरुण गाँधी पर रासुका सुश्री मायावती द्वारा लगा दी गयी ,देश मैं हो हल्ला हो गया ,केवल वरुण गाँधी द्वारा उत्तेज्जक भाषण दिया था ,जो की प्रजातंत्र राष्ट्र मैं हक है.महाराष्ट्र मैं हिन्दी भाषियों कौ मारा गया तथा उन्हे तथागातित बिहारी कहा गया ,श्री राज ठाकरे और उनके बही मानुष लोगों पर रासुका तामील नहीं किया गया ,सुश्री मायावती द्वारा तथाकथित हत्यारों कौ सरकार मैं शामिल किया गया तथा लोक सभा के लिए टिकेट दिया गया ,जिनपर रासुका होना चाहिए था ,समस्त राष्ट्र चुप रहा,सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी मांद मैं बैठे बैठे खेल देखते रहे । कहाँ है राष्ट्र हित ,केवल राष्ट्र हित दिखाने के लिए है अथवा करने के लिए है।
माँ.लोकसभा स्पीकर द्वारा स्पीकर के पद से स्तीफा देने से पार्टी कोमना कर दिया गया ,उन्हे पार्टी से निष्कासित कर दिया गया.तथाकथित गरीबों की पार्टी तथा उधार ली गयी नीति पर राष्ट्र कौ चलाने के लिए जोड़ गांठ कर सर्कार पर बोझ बनने के साथ राष्ट्र हित चाहने वाले ,लोक सभा स्पीकर पर दबाब क्या राष्ट्र हित से परे नहीं है।
कौन कहेगा कौन समझेगा.२६\११ कौ बॉम्बे पर हल्ला ,उस समय भासी राजनीत करने वाले अपनी अपनी मांद मैं दुबक कर बैठे थे ,लेकिन जब कसाव के लिए कानूनी सहायता प्रदान की गयी ,मांद से निकल कर फिर बाहर निकल आये ।
हमें क्या करना चाहिए ,हम सिर्फ सोच सकते हैं, कुछ कर नहीं सकते ,क्योंकि हम अकेले हैं ,साथ किसी का नहीं.ऐसे मैं राष्ट्र का अस्तित्व कहाँ सुरक्षित है.यह सब गुलामी की और जाने का संकेत है.यह सब राष्ट्र बेचने के संकेत हैं.क्योंकि बेचने वालों ने स्विस बैंक मैं अपना धन पाहले से ही सुरक्षित कर लिया है.नवजवान बेबस हैं,उनको राह दिखाने वाले कोई नहीं हैं, उनका पेट खाली है .और यह सही है ,पेट की छुधा शांत करने के लिए ,एडी देश हित सामने आता है ,बेईमानी होगी।
आप सोचते रहिये और पीडा सहन करते करते परलोक गमन कर जाइए ,कोई कुछ समझने वाला नहीं है.

10 comments:

Unknown said...

हिन्दी ब्लॉग जगत में हार्दिक स्वागत है… समस्त शुभकामनायें… सिर्फ़ एक अर्ज है कि "वर्ड वेरिफ़िकेशन" हटा दें ताकि टिप्पणी में कोई बाधा न हो… धन्यवाद…

परिव्राजक said...

aapka hindi blog ki duniya mein tahe dil se swagat hai.

अभिषेक मिश्र said...

Aapki pida se sahmat hun. Swagat.

अजय कुमार झा said...

andaje bayan pasand aayaa, swaagat hai yun hee baraste rahein. ham hain n padhne ke liye.

परमजीत सिहँ बाली said...

आप की बात काफी हद तक सही है।लेकिन जब तक राजनिति आपस में बाटती रहेगी ,सही दिसा नही मिल सकती।

Mohd. Sarfaraz said...

लिखना उत्तम धन
करदे मन प्रसन्न
तो आप यूँ ही लिखते रहिये
चिठ्ठा जगत में स्वागत है आपका

Mohd. Sarfaraz said...

लिखना उत्तम धन
करदे मन प्रसन्न
तो आप यूँ ही लिखते रहिये
चिठ्ठा जगत में स्वागत है आपका

RAJIV MAHESHWARI said...

भदौरिया जी ...... आपने जो लिखा है वो बहुत सही है लेकिन समझता कोन है.
इन नेताओ से उम्मीद तो कम है. पर इस तरह से अगर जूते पड़ने लगे तो शायद अक्ल आजाये.

MAYUR said...

bilkul sahi likha hai aapne


हिन्दी चिटठा जगत में आपका स्वागत है , ऐसे ही अपनी लेखनी से हमें परिचित करते रहें

धन्यवाद
मयूर दुबे
अपनी अपनी डगर

Bhadauria said...

DHANYAWAD.
ASHA HEE NAHIN APITU POORN VISHWAS HAI,YON HI AP LOG HIMMAT BADHTE RAHENGE.