श्री सच्चिदानन्द साईं जी के दरबार मैं एक दिन एक पुरुश और एक स्त्री (बुर्के में) उपस्थिति हुए.श्री सच्चिदानन्द के
सम्मुख उस स्त्री ने बुर्का मुख पर से हटाया,तो उनके शिश्य वहां से जाने लगे,श्री साईं महराज समझ गये,कि उनके शिस्य उस स्त्री की शोभा देखकर उनके शिस्यओं के मन के अन्दर उथल पुथल होने लगी है,श्री साईं महाराज ने सभी को बुलाया और अपने पास बिठा लिया.जब वह पुरुश और स्त्री चले गये,तब श्री साईंजी महाराज ने कहा कि किसी अच्छी चीज को देख कर इन्द्रियां चन्चल होने लगती हैं-उनको अपना काम करने दो,लेकिन अपना मन मत चन्चल
होने दो.
Monday, April 12, 2010
Friday, April 2, 2010
लडकी की ससुराल उसकी अपनी मां उजाडती है.
कहने में अच्छा नहीं लगा है,लेकिन सत्य है.उसके बाद देश क कानून भी उसी उजाडनेवाले पछ को सहानुभूति देता है.
शादी के समय होनेवाली छोटी-छोटी बातें शादी के पश्चात बहुत बडी -बडी, लडकी की माँ द्वारा लडकी के माध्यम से बनाना शुरू हो जाता है.
जिसका सामना उसके पति को करना पडता है, और उसकी विचार धारा लडकी(अपनी पत्नी) के प्रति कठोर होने लगती है.फिर बाद में बहुत बडी समस्या बन जाती है.यदि शुरूआत में ही यदि लडकी की माँ धीरज से काम लेकर यदि अपनी बेटी को दूसरे घर के रीतिरिवाज़ समझने के लिये जोर दे,तब लड्की भी सोचने के लिये मजबूर होगी कि अब उसके लिये पति के घर से समझौता करने के सिवाय और कोई उपाय नहीं है.
शादी के समय होनेवाली छोटी-छोटी बातें शादी के पश्चात बहुत बडी -बडी, लडकी की माँ द्वारा लडकी के माध्यम से बनाना शुरू हो जाता है.
जिसका सामना उसके पति को करना पडता है, और उसकी विचार धारा लडकी(अपनी पत्नी) के प्रति कठोर होने लगती है.फिर बाद में बहुत बडी समस्या बन जाती है.यदि शुरूआत में ही यदि लडकी की माँ धीरज से काम लेकर यदि अपनी बेटी को दूसरे घर के रीतिरिवाज़ समझने के लिये जोर दे,तब लड्की भी सोचने के लिये मजबूर होगी कि अब उसके लिये पति के घर से समझौता करने के सिवाय और कोई उपाय नहीं है.
Wednesday, March 31, 2010
मैं डरपोक हूँ.
जब बच्चा था,तब मां बाप और घर बाहर के सभी बडे बुजुर्गों से डरा करता था.स्कूल गया तब गुरुजनोंऔर वरिश्ठ भाईयों से डरा.नौकरी की तब बास,और सीनिअर्स से डरा.शादी हुई तब से घरवाली से डरा.अब जब बच्चे बडे हुऐ तब उनसे डरता हूँ.यह डर की भावना कहाँ और कैसे पैदा हुई,आज तक नहीं समझ सका.
किसी प्रकार के कार्य करते समय श्री भगवान से डरता हूँ.शायद इसी तरह डरते डरते मौत को प्राप्त कर लूँगा.
श्रीमद्भागवत गीता में श्री क्रिश्ण जी ने कहा है--कर्म करते रहो फल की चिन्ता मत करो,लेकिन कर्म के समय जो डर पैदा होता है,उसका कोई उपाय नहीं बताया.
किसी प्रकार के कार्य करते समय श्री भगवान से डरता हूँ.शायद इसी तरह डरते डरते मौत को प्राप्त कर लूँगा.
श्रीमद्भागवत गीता में श्री क्रिश्ण जी ने कहा है--कर्म करते रहो फल की चिन्ता मत करो,लेकिन कर्म के समय जो डर पैदा होता है,उसका कोई उपाय नहीं बताया.
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