Monday, April 12, 2010

इन्द्रियों को अपना कार्य करने दो.

श्री सच्चिदानन्द साईं जी के दरबार मैं एक दिन एक पुरुश और एक स्त्री (बुर्के में) उपस्थिति हुए.श्री सच्चिदानन्द के
सम्मुख उस स्त्री ने बुर्का मुख पर से हटाया,तो उनके शिश्य वहां से जाने लगे,श्री साईं महराज समझ गये,कि उनके शिस्य उस स्त्री की शोभा देखकर उनके शिस्यओं के मन के अन्दर उथल पुथल होने लगी है,श्री साईं महाराज ने सभी को बुलाया और अपने पास बिठा लिया.जब वह पुरुश और स्त्री चले गये,तब श्री साईंजी महाराज ने कहा कि किसी अच्छी चीज को देख कर इन्द्रियां चन्चल होने लगती हैं-उनको अपना काम करने दो,लेकिन अपना मन मत चन्चल
होने दो.

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